
ये ना सिर्फ आश्चर्य की बात है बल्की सोचने की बात है कि आखिर ऐसा क्यों है।
क्यों आज तक किसी कांग्रेस के नेता ने कश्मीर के पंडितों की बात की? आखिर भोपाल गैस कांड के आरोपी को क्यो बचाया और आज तक पीड़ितो के घर नहीं गए? सिखों का नरसंहार हुआ पर कोई पीड़ितों के घर नही गया। बल्कि ” जब बड़ा पेड़ गिरता है तो जमीन हिलती है” इस कहकर राजीव गांधी ने खुद स्वीकार किया कि कहीं ना कहीं वो सिखों के नर संहार को सही मानते थे?
गोधरामें 59 हिंदुओं को जिंदा जला दिया गया पर कोई पीड़ितों से मिलने नहीं गया?
नेहरु ने जिस तरह खुद के हिंदू होने को एक एक्सीडेंट बताया वो क्या था?
ताज़्जुब तो इस बात का है कि इन्हें हिंदू कहलाने में शर्म आती है पर वोटों के लिए अपने नाम हिन्दू वाले ही रखते हैं।
भारत की मैजोरिटी को समझने की जरूरत है कि गाँधी परिवार ने हमेशा उन्हें बेबकूफ बनाया है।