
विदित हो कि कोरोना महामारी और गिरती आर्थिक विकास की हालत के बीच ईरान में सड़कों पर प्रोटेस्ट होना शुरू हो गए हैं. लोगो की आवाज दवाने के लिए ईरान ने 11 लोगों को मौत के घाट उतार दिया जिसमे एक famous पत्रकार रूहोल्लाह ज़ाम भी थे जिन पर 2017 में सरकार विरोधी कैम्पेन चलाने का आरोप था.
समझने की बात है कि इतना होने पर भी ईरान की सरकार को विदेशी मीडिया ब्लेम नहीं कर रही है. जबकि भारत में छोटी छोटी घटनाओं के होने पर भी लोकतंत्र को खतरे में दिखा दिया जाता है. अब समय आ गया है कि भारत भी देश विरोधी पत्रकारों और ताकतों के खिलाफ कड़े एक्शन ले