
लालालाज पत राय का जन्म 28 जनवरी सन 1865 को एक जैन परिवार में हुआ था, इनके पिता का नाम राधाकिशन आजाद तथा माता का नाम गुलाबो देवी था। इनके पिता अध्यापक थे इसलिए वे उन्हें ही अपना गुरु मानते थे , पिता से ही उन्होंने पढ़ने और लिखने का उत्साह पाया ।
इन्होंने कुछ समय हरियाणा के रोहतक और हिसार शहरों में वकालत की यह कांग्रेस के गर्म दल के नेता थे और इनके साथ बाल गंगाधर तिलक, विपिन चन्द्र पाल, रहते थे तो इनको सभी लोग लाल,बाल, पाल के नाम से जानते है । 32 वर्ष की आयु में कांग्रेस के सदस्य बन गए और ब्रिटश सरकार का खुले रूप में विरोध करने लगे तभी से उनका नाम गंगाधर तिलक से हुआ ।
लाल जी को पंजाब के केसरी तथा शेरे पंजाब की उपाधि दी गयी क्यों कि वे आस्थावान एवं विस्वास पात्र व्यक्ति थे ,लाल जी के साथ अंग्रजो का व्यवहार अच्छा नही था वे उन्हें देशद्रोही मानते थे ।लालालाज पत राय ने समाज सुधार कार्यक्रमो एवं शिक्षा के प्रचार के लिए दूर-दूर तक जाते थे उन्होंने पिछड़े लोगों को शिक्षा का लाभ पहुँचाने के लिए शिक्षण संस्था खोली ,अपनी बचत से 40,000 रूपया दान दिया ,इस प्रकार उनका सामाजिक कार्यों में विशेष योगदान रहा ।
लालालाज पत राय की माता जी ने उन्हें धर्म की शिक्षा दी और लाल जी का विचार था कि जनता के लिए शिक्षा अनिर्वाय है ,पंजाब के भूकम्प पीड़ित के लिए राहत कार्य के लिए उन्होंने ”सर्वेंट ऑफ पीपुल सोसायटी” की स्थापना की , लाल जी का सारा समय राष्ट की सेवा तथा सारा जीवन सामाजिक कार्यो को करने में बीता ।
30 अक्टूबर 1928 को इन्होंने लाहौर में साइमन कमीशन विशाल प्रदर्शन में हिस्सा लिया था इसके दौरान लाठी चार्ज में यह बुरी तरह से घायल हो गए थे ,उस समय लाल जी ने कहा था कि “”मेरे शरीर पर पड़ी एक-एक लाठी ब्रिटिस सरकार के ताबूत में कील का काम करेगी “” और वही हुआ —-
लाल जी के बलिदान के 20 साल के अंदर ब्रिटश सरकार का सूर्य अस्त हो गया ।
17 नवम्बर 1928 को इन्ही चोटों की वजह से उनका देहांत हो गया ।
लाला जी की मौत का बदला
लाल जी मृत्यु के सारे देश मे हंगामा हो गया और उत्तेजित हो उठा चन्द्र शेखर आजाद ,भगत सिंह ,राजगुरु ,सुखदेव व अन्य क्रांतिकारियों ने लाल जी का बदला लेने का निर्णय लिया लाठी चार्ज का बदला लेने की ठान ली । देश भक्तों ने अपने प्रिय नेता की हत्या का बदला एक महीने में पूरा किया 17 दिसम्बर 1928 को ब्रिटिश पुलिस अफसर सांडर्स को गोली से उड़ा दिया , हत्या के मामले में राजगुरु, सुखदेव , भगत सिंह को फांसी की सजा सुना दी गई ये घटना हुई थी लाला लाज पत राय की ।
लाल जी ने हिंदी सेवा को बहुत महत्व दिया
लाल जी ने कृष्ण ,शिवाजी और महापुरुषों की जीवनियां लिखी —
इनकी विशेषताये पंजाब में हिंदी के प्रचार -प्रसार बहुत सहयोग दिया , हिन्दी लागू करने के लिए हस्ताक्षर का अभियान चलाया ।
इनकी रचनाएं
Young india.
England debt to india .
Unhappy india.
The story of my life.
इनके अनमोल वचन (1) पराजय और सफलता कभी कभी विजय की और जरूरी कदम होते है,
(2) नेता वह है जिसका नेतृत्व प्रभावशाली हो जो अपने अनुयायियों से सदेव आगे रहता है।
(3) जो साहसी और निर्भीक हो
💐जय हिंद जय भारत💐